बकरी की कहानी

Hello friends, आज मैं आपको बताऊँगी एक बकरी की कहानी। इस कहानी को पड़के आपको कैसा लगे, उसे निकबे comment box में ज़रूर बताएं। और अगर आपको यह कहानी पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी share करें। 

तो चलिए जानते हैं बकरी की कहानी, लालच की कहानी।


बकरी की कहानी

एक समय की बात है एक गांव में प्रकाश नाम का किसान रहता था। वह दिन- रात अपने खेत में मेहनत करता था और अपने परिवार को पालता था। उसके पास 2 भैंस और 1 बकरी भी थी। 

वह बकरी अभी छोटी थी और बहुत ही प्यारी थी। सारे गांव के लोग उस बकरी को देखकर उससे मिलने आते थे क्योंकि वह बहुत ही प्यारी थी। कई लोग उसके लिए घास और पत्ते भी लाते थे ताकि उसको खाता हुआ देख सकें।

बकरी की कहानी

ऐसे ही एक शाम एक आदमी आया जिसका नाम सागर था। सागर को वह बकरी बहुत भा गयी और वह उसे लालच भरी नजरों से देखने लगा। वह रोज़ योजना बनाने लगा कि कब उसे प्रकाश के घर से चुरा ले। 

वह रोज़ उनके घर के आस पास मंडराता रहता था। प्रकाश को थोड़ा अजीब लगने लगा क्योंकि उसका घर किसी दुकान के आस पास नहीं था। इसलिए लोग उसके घर के आसपास ज़्यादा नहीं दिखते थे। वे आते थे तो सिर्फ बकरी देखने आते थे पर इसके इलावा कोई उसके घर के आसपास नहीं होता था।

पर प्रकाश ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। वह रोज़ अपने खेत मे जाता और जी जान से मेहनत करता। शाम को उसकी बीवी भैंस में से दूध निकालती और उनको चारा देती। फिर वह बकरी को भी चारा डालती और ऐसे दोनों की ज़िंदगी मज़े से चल रही थी। पर उन्हें क्या पता था कि उनकी ज़िंदगी मे ग्रहण लगने वाला है। 

अगली सुबह उनकी बकरी गायब हो गयी थी। वह बकरी कहीं नहीं दिख रही थी। उन्होनें उसे ढूंढने की बहुत कोशिश की, उन्होनें उसे खेतों में देखा, झाड़ियों में देखा, कुंए की पास देखा पर वह कहीं न दिखी। थक हारकर वे दोनों घर पर आ गए और काफी उदास हुए। एकदम प्रकाश को सागर के बारे में याद आया और उसने यह भी पाया कि सागर पूरे गांव में कहीं नहीं दिख रहा था।

वह उसके घर पर गया और उसके दरवाज़े को खटखटाया, उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई पर उसके घर के अंदर से कोई न आया। धीरे- धीरे प्रकाश को गुस्सा आने लगा। उसे पूरा विश्वास था कि बकरी सागर के घर में ही है पर वह बिना सबूत के तलाशी नहीं ले सकता था। 

इसलिए उसने बात पंचायत तक पहुंचाई। बरगद के एक पेड़ के नीचे शाम को पंचायत बिठाई गयी। पंचायत में प्रकाश ने सागर पर आरोप लगाया कि इसने बकरी चुरा ली है। सागर ने साफ इंकार कर दिया। फिर प्रकाश ने पंचायत को सागर के घर की तलाशी लेने के लिए अनुरोध किया। 

सभी ने बकरी को घर के पीछे वाले बाड़े में बंधा हुआ पाया। इसपर सागर ने कहा कि वह उसे कल ही शहर से खरीदकर लाया था और वह उसकी ही बकरी है। सागर के प्रिय मित्र भैरा ने भी यही कहा। इसपर पंचायत के सरपंच ने काफी सोचा।

करीब पांच मिनट सोचने के बाद उन्हें एक तरकीब सूझी। सरपंच ने बोला कि इस बकरी को उठा लो और कसाई के पास ले चलो। सब अपना सर खुजलाने लगे और प्रकाश के मन मे डर बैठ गया। वह तरह- तरह की चीजें सोचने लगा। 

कहानी

कसाई की दुकान पर पहुंचते ही सरपंच ने कसाई को बोला कि इस बकरी की गर्दन अलग करदो और इसे मार डालो। इस समय सागर को सिर्फ खुद को सच्चा साबित करना था और इसे बकरी की जान से कोई लगाव न था। इसलिए उसने भी कहा कि इस बकरी को मार डालो। 

पर दूसरी ओर प्रकाश जिसने उसे प्यार से पाला था, उसे खिलाया था, उसे दिल से चाहा था, वह उसे मरता हुआ नहीं देख सकता था। वह बहुत दुखी हुआ और उसने कहा कि उस बकरी को सागर लेले और उसका ध्यान रखे। 

इससे सागर बहुत खुश हुआ कि उसकी जीत हुई और सारे लोग प्रकाश की बुराई करने लगे। पर सरपंच ने वह बकरी सागर के हाथ से लेली और उसे प्रकाश को देते हुए कहा कि सरपंच का फैसला प्रकाश के पक्ष में है।

सब यह बात सुनकर हैरान रह गए और सरपंच ने समझाया कि प्रकाश, जिसने उस बकरी को प्यार से पाला था और उसे मरता हुआ नहीं देखना चाहता था, वही उसका असली मालिक है। पर सागर को बकरी की जान से कोई लगाव न था इसलिए वह उसे मरता छोड़ गया। 

ऐसे फिर एक बार सच्चाई की जीत हुई और प्रकाश और उसकी बीवी खुशी- खुशी अपनी बकरी को लिए घर चले गए।


Bakri ki kahani in Hinglish

Ek samay ki baat hai ek gaanv me prakaash naam ka kisan rehta tha. Veh din raat apne khet me mehnat karta tha aur apne parivar ko palta tha. Uske paas 2 bhains aur 1 bakri bhi thi.

Veh bakri abhi chhoti thi aur bahut hi pyaari thi. Sare gaanv ke log us bakri ko dekhkar usne milne aate the kyuki vh bahut hi pyaari thi. Kayi log uske liye ghaas aur patte bhi laate the taki usko khaata hua dekh sake.

Aise hi ek shaam ek aadmi aaya jiska naam sagar tha. Sagar ko veh bakri bahut bhaa gayi aur veh use lalach bhari nazron se dekhne laga. Veh roz yojna banane laga ki kab use prakash ke ghar se chura le. 

Veh roz unke ghar ke aas paas mandraata tha. Prakash ko tha ajeeb lagne laga kyuki uska ghar kisi dukaan ke aas paas nahi tha. Isliye log uske ghar ke aas paas jyada nahi dikhte the. Ve aate the to sirf bakri dekhne aate the par iske alawa koi uske ghar ke aas paas nahi hota tha.

Par prakash ne is baat par dhyaan nahi diya. Veh roz apne khet me jaata aur jee jaan se mehnat karta. Shaam ko uski biwi bhains me se doodh nikalti thi aur unko chaara deti. Fir veh bakri ko bhi chaara dalti aur aise dono ki zindagi maze se chal rahi thi. Par unhe kya pata tha ki unki zindagi me grahan lagne wala hai. 

Agli subah unki bakri gayab ho gayi thi. Veh bakri kahi nahi dikh rahi thi. Unhone use dhoondne ki bahut koshish ki, unhone use kheto me dekha, jhaadiyo me dekha, ku ye ki paas dekha par veh kahi n dikhi. Thak haarkar ve dono ghar par aa gaye aur kaafi udaas huye. Ekdum prakash ko sagar ke bare me yaad aaya aur usne yeh bhi pata ki sagar pure gaanv me kahi nahi dikh raha tha.

Veh uske ghar par gaya aur uske darwaze ko khatkhataya, usne zor se avaaz lagayi par uske ghar ke andar se koi n aaya. Dhire- dhire prakash ko gussa aane laga. Use poora vishvas tha ki bakri sagar ke ghar me hi hai par veh bina saboot ke talaash nahi le sakta tha. 

Isliye usne baat panchayat tak pahunchayi. Bargad ke ek ped ke niche shaam ko panchayat bithayi gayi. Panchayat me prakash ne sagar par aarop lagaya ki isne bakri chura li hai. Sagar ne saaf inkaar kar diya. Fir prakash ne panchayat ko Sagar ke ghar ki talashi lene ke liye anurodh kiya. 

Sabhi ne bakri ko ghar ke peeche vale bade me bandha hua paaya. Ispar Sagar ne kaha ki veh use kal hi shahar se kharidkar laya tha aur veh uski hi bakri hai. Sagar ke priya mitra bhaira ne bhi yahi kaha. Ispar panchayat ke sarpanch ne kaafi socha.

Kareeb paanch minute sochne ke baad unhe ek tarkeeb soojhi. Sarpanch ne bola ki is bakri ko utha lo aur kasayi ke paas le chalo. Sab apna sar khujlane lage aur prakash ke man me dar baith gaya. Veh tarah- tarah ki cheeze sochne laga. 

Kasayi ki dukaan par pahunchte hi sarpanch ne kasayi ko bola ki is bakri ki gardan alag kardo sir ise maar daalo. Is samay sagar ko sirf khud ko sachha sabit karna tha aur ise bakri ki jaan se koi lagav na tha. Isliye usne bhi kaha ki is bakri ko maar daalo.

Par dusri Or prakash jisne use pyar se paala tha, use khilaya tha, use dil se chaha tha, veh use marta hua nahi dekh sakta tha. Veh bahut dukhi hua aur usne kaha ki us bakri ko sagar lele aur uska dhyaan rakhe. 

Isse sagar bahut khush hua ki uski jeet hui aur Sare log prakash ki burai karne lage. Par sarpanch ne veh bakri sagar ke haath se leli aur use prakash ko dete huye kaha ki sarpanch ka faisla prakash ke paksh me hai.

Sab yeh baat sunkar hairaan reh gaye aur sarpanch ne samjhaya ki prakash, jisne us bakri ko pyar se paala tha aur use marta hua nahi dekhna chahta tha, vahi uska asli malik hai. Par sagar ko bakri ki jaan se koi lagaav na tha isliye veh use marta chhod gaya. 

Aise fir ek baar sachai ki jeet huyi aur prakash aur uski biwi khushi- khushi apni bakri ko liye ghar chale gaye.


Conclusion

मुझे उम्मीद है कि आपने बकरी की कहानी पसंद आई होगी और आपने इसको पढ़कर बहुत आनन्द लिया होगा। 

आज हमने सीखा-

हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए।

ऊपर लिखी कहानी के बारे में आपके क्या विचार हैं, उन्हें नीचे comment box में जरुर प्रकट करें। अगर आपका कोई सवाल है तो आप comment कर सकते हैं या email कर सकते हैं। इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक share करें ताकि अन्य लोग इस शायरी का आनंद ले सकें।

मैं आपको जल्द से जल्द reply देने की कोशिश करूंगी। 

धन्यवाद……..।

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FAQ (Frequently Asked Questions)

प्रकाश क्या करता था?

प्रकाश एक किसान था और मेहनत से खेती करता था।

गांव के लोग प्रकाश के घर क्यों आते थे?

गांव के लोग प्रकाश के घर उसकी बकरी को देखने आते थे जो दिखने में बहुत ही प्यारी थी।

बकरी को किसने चुराया था?

सागर ने बकरी को चुराकर अपने घर मे बांध दिया था।

सरपंच ने क्या सुझाव दिया?

सरपंच ने यह सुझाव दिया कि बकरी को कसाई के पास ले जाकर मार दिया जाए।

पंचायत का फैसला किसके पक्ष में निकला?

पंचायत का फैसला प्रकाश के पक्ष में निकला और उसकी जीत हुई।

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