सुना था की दर्द का एहसास तो अपनो को होता है, यहाँ तो दर्द ही अपने देते है तो एहसास कौन करेगा !!

मोहब्बत ना थी तो एक बार समझाया तो होता, बेचारा दिल तुम्हारी खमोशी को इश्क समझ बैठा !!

उनको डर है की हम उन के लिए जान नही दे सकते, और मुझे खोफ़ है की वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद !!

हजारों चेहरों में एक तुम ही थे जिस पर हम मर मिटे वरना, ना चाहतो की कमी थी और ना चाहने वालो की !!

आज मेरे साथ दो कदम चलकर थक गई हो तुम, जरा ये बता दो की ऐसे रिश्ते कितने दिन चलते है !!

बहुत महंगा हो गया है ये इश्क़ जनाब आजकल, अब उसे पहली मुलाकात में दिल नहीं तोहफे चाहिये !!

ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से वो लोग, जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते !!

काश कोई मिले इस तरह की फिर जुद़ा ना हो, जो समझे मेरे मिजाज़ को और कभी मुझसे खफ़ा ना हो !!

मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है, ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हे बोलना था !!

तुम्हे अपना कहने की तमन्ना थी दिल में, मगर लबों तक आते आते तुम ग़ैर हो गए

मौत से इसलिए भी डरता हूँ की ऊपरवाले को क्या मुँह दिखाऊंगा, क्यूंकि यहाँ मैंने खुदा किसी और को माना था

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