अपने इंतजार को मैं तुम्हें किन लफ्जों में लिखूं, मेरा यह बेजुबा इश्क कया ख़ामोशी में ढूंढता है
फिर कोई दूसरा चेहरा नहीं आया मेरी निगाहों में, मुझे भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आना
उनके माथे को मैं चूम लू और चूमते ही उनकी जुल्फें बिखर जाए, इनके कुछ लम्हों के इंतजार है मेरी जिंदगी ना गुजर जाए।
रोज तेरा इंतजार होता है और यह दिल हमेशा बेकरार होता है काश तुम एक बार नहीं समझ सकते कि चुप रहने वालों को भी प्यार होता है
मैंने झुकी हुई पलकों से उनका इस कदर दीदार किया, मैंने हर चीज भुला कर उनका इंतजार कया वह मेरे जज्बात कभी जान ही ना पाएंगे, की सच्चे दिल से प्यार हमको हमेशा मैंने ही किया।
कभी तो तुम मुझे भी याद करोगे, दो पल के लिए सही कम से कम मुझे बर्बाद तो करोगे, तुम्हारा इंतजार हमें भी रहेगा कयामत तक आखिर में हम भी तो देखें तुम हमसे कब तक प्यार ना करोगे
नजरों का नजरों से टकराव होता है, हर मोड़ पर हमें उस शख्स का इंतजार होता है, मेरा दिल रोता है और जब भूख खूब हंसते हैं, क्या इसी का नाम प्यार होता है।
मैंने अपनी आंखों को इंतजार की भट्टी पर रख दिया, इस दिए को मैंने आंधी की मर्जी पर रख दिया।
तुम्हारा इंतजार करना मुझे बहुत पसंद है, क्योंकि वह सारा वक्त उम्मीद से भरा होता है
जिस जगह अलविदा कहा था उनकी दर्द भरी आंखों ने, उनके आने के इंतजार में आज भी दिल वही खड़ा है।
हम जीने की ख्वाहिश में हर पल मरते हैं, वह आए या ना आए हम हमेशा उनका इंतजार करते हैं, यह झूठा ही सही मगर मेरे यार का वादा है, हम तो बस सच सच मानकर उनका एतबार करता है