ना जाने कितनी अनकही बातें साथ लेजाएँगे  लोग झूठ कहते हैं ख़ाली हाथ आए थे, ख़ाली हाथ जाएँगे

साहब हमारे दिखावे पर मत जाना आपकी चाल देखकर ढाल बदलने वाला इंसान हूँ मैं

ज़िंदगी जीनी है तो अपने दम पर जीयो , दूसरो के कंधो पर तो जनाज़े उठा करते हैं

अपनी ख़ुशियों में ख़ुश रहना सीखो लोगों का क्या है वो तो भगवान से भी नाराज़ हैं

किसी से इतनी उम्मीद ना रखना कि उम्मीदों के साथ तुम भी टूट जाओ

उसूलों के पक्के हैं जनाब बेवजह किसी को उँगली करना फ़ितरत नहीं है हमारी

मुझे रिश्तों की बड़ी क़तारों से कोई मतलब नहीं कोई दिल से हो मेरा तो एक शख़्श ही काफ़ी है

उस इंसान को कैसे रुला सकता हूँ मैं जिस इंसान को रो- रो के माँगा है

मजबूर हुआ हूँ लेकिन किसी का मोहताज नहीं हूँ मेरी सलतनत भले ही छोटी हो पर अकेला सुल्तान हूँ मैं

ना जाने कितनी कहानियाँ होगी उसके पास वो इंसान जो किसी से बात नहीं करता

किनारे नसीब नहीं हुए कशती को हमारी हम वो हैं जो सदा समुंदर के तूफ़ानो से लड़े हैं

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