कबर पे वो हमारी रोने आए है , हमसे प्यार है ये कहने आए है , जब ज़िंदा थे तो रुलाया बहुत था, अब आराम से सोए है तो जगाने आए हैं।
ख़ाली जेब लेकर निकलो कभी बाज़ार में , जनाब वहम दूर हो जाएगा इज्जत कमाने का।
आंखें अक्सर उन्हीं लोगों द्वारा खुलती हैं, जिनपर लोग आंख मूंदकर विश्वास करा करते हैं।
कहता था तू न मिला तो मर जाऊंगा, वो आज भी ज़िंदा है, यही बात किसी और को कहने के लिए ।
इतने रंग दिखाए है तूने इस ज़िन्दगी में , बोलना किस रंग से तेरी तस्वीर बनाऊ मैं , तुम मुस्कुराना चाहते हो न, तो लो फिर बर्बाद हो जाऊ मैं।
मोहब्बत भी उस चाय की तरह हो गई है , तब तक ही अच्छी लगी ,जब तक वो गरम थी।
कितना नादान है ये दिल समझ कर भी समझता ही नही मरता भी तो उसी पर है जो इसे कुछ समझता नही।
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी, पहले पागल किया, फिर पागल कहा, फिर पागल समज कर छोड़ दिया।
आंसू अपने हाथ से ही पोछ लेना दोस्तों, अगर दूसरे पूछेंगे तो उसकी कीमत मांगेंगे।