लड़े जंग वीरों की तरह,
जब खून खौल फौलाद हुआ
मरते दम तक डटे रहे वो,
तब ही तो देश आजाद हुआ ||
चूमा था वीरों ने फांसी का फंदा
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में
जो अब तक ना खौला, वो खून नहीं पानी है,
जो देश के काम ना आये, वो बेकार जवानी है
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
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