मालूम था मालूम है की कुछ भी नहीं हासिल होगा, लेकिन वो इश्क ही क्या जिसमें ख़ुद को तड़पाया ना जाये !
तमन्ना है न हीरो की, परियों पर न मैं मरता हूँ, भोली सी लड़की है वो, जिसपर मैं मरता हूँ।
क्या क्या तेरे नाम लिखूं ? दिल लिखूं की जान लिखूं ? आंसू चुरा के तेरी प्यारी आँखों से, अपनी हर ख़ुशी तेरे नाम लिखूं।
मैंने जान बचा के रखी है, एक जान के लिए, इतना इश्क कैसे हो गया, एक अनजान के लिए।
दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं, झुकी हुई निगाहों को इक़रार कहते हैं, सिर्फ पाने का नाम इश्क़ नहीं, कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं।
तुम ज़िंदगी मै आ तो गए हो , मगर ख़याल रखना …! हम जान देते है लेकिन जाने नहीं देते।
आज खुदा ने मुझसे कहा, भूला क्यों नहीं देते उसे, मैंने कहा इतनी फ़िक्र है तो मिला क्यों नही देते।
चाहता हूँ उसका नाम लिख दूँ, अपनी हर शायरी के साथ, लेकिन फिर सोचता हूँ, बहुत भोली है मेरी जान, कहीं बदनाम न हो जाए.
इश्क़ में तेरे एक नशा है, दुनिया हो गयी इसलिए मुझसे खफा है, इतना महोब्बत न करना मुझसे, की दिल तेरा पूछे तुझसे, धड़कन तेरी कहां है।