आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की, ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो !
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँटो की कगार पर, पर आज फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मज़ार पर !!
हमने तो सिर्फ अपने आंसुओं की वजह लिखी है, पता नहीं लोग क्यों कहते है की वाह ! क्या ग़ज़ल लिखी है !!
तुम्हारा शक सिर्फ हवाओ पे गया होगा, चिराग़ खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा !
ज़रा सी रंजिश पर ना छोड़ किसी अपने दामन , ज़िंदगी बीत जाती है अपनों को अपना बनाने में
ए दोस्तो इश्क़ का दस्तूर ही कुछ ऐसा होता है, जो इसको जान लेता है ये साला उसीकी जान ले लेता है !!
क़िस्मत से मत लड़ जो होना है वही होगा , जिसे तू खोने से डरता है तू वही खोएगा
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी, पहले पागल किया, फिर पागल कहा, फिर पागल समज कर छोड़ दिया।
कफ़न में मेरी लाश देख कर रोना मत , वो आख़िरी दीदार होगा ज़रा हंस कर अलविदा करना