भीगे मौसम में भी वो मुझसे रूबरू हो गए, मेरे आंसू बह रहे थे और उसने उसे बारिश समझ लिया।

हाल के दिनों में उनकी शामें भी मेरे बिना बीत जाती हैं, वो लोग जो कभी फोन पर कहा करते थे कि तुम्हारे बिना शायद सुबह ना हो।

थोडा सब्र करो, मैं तुमसे रिश्ता भी तोड़ सकता हूँ। बस मेरे दिल की धड़कन के रुकने की उम्मीद है।

अगर तुम चले जाओ मुझे मेरे हाल पर छोड़कर, तो अपने बिना मुझे मारने की कोशिश में उन लम्हों को भी छीन लो।

बहुत से हैं जो जीभ को पकड़ लेते हैं, मैं चाहता हूं कि मुझे कोई ऐसा मिले जो धड़कनों से वाकिफ हो।

मुझे अपने अधूरे प्यार का हिसाब चाहिए, मैं सही था या गलत, मुझे बस जवाब चाहिए।

उसे हरियाली का बहुत शौक है, वो रोज़ आती है और मेरे जख्मों पर मरहम लगाती है।

एक बात आज तक मेरी समझ में नहीं आई, किसी का दिल तोड़ कर इंसान को क्या मिलता है।

सुना है आज वो हमारे ज़िक्र तक से नफरत करते हैं। वही जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।

जब कसूर तुम्हारा ही था तो जिम्मेदार को क्यों याद किया जाए, बेफिक्रों को जिंदगानी सौंप दी और बेफिक्रों से मोहब्बत कर ली।

मेरे बाद तुम्हारा यह बोझ कौन सहेगा, मेरे पीछे मेरी वफ़ादारी का भार छोड़ देंगे।

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