चलता रहूँगा पथ पर, चलने में माहिर बन जाऊंगा, या तो मंजिल मिल जाएगी, या अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊंगा।
शाम सूरज को ढ़लना सिखाती है, शमा परवाने को जलना सिखाती है, गिरने वाले को होती तो है तकलीफ, पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है।
लहरों का शांत देखकर ये मत समझना, की समंदर में रवानी नहीं है, जब भी उठेंगे तूफ़ान बनकर उठेंगे, अभी उठने की ठानी नहीं है।
हर पतंग को एक दिन कचरे में जाना पड़ता है लेकिन उसके पहले उसे आसमान छू के दिखाना पड़ता है।
कौन कहता है कामयाबी किस्मत तय करती है, इरादों में दम हो तो मंजिले भी झुका करती है।
ये ज़िन्दगी हसीन है इससे प्यार करो अभी है रात तो सुबह का इंतज़ार करो वो पल भी आएगा जिसकी ख्वाहिश है आपको रब पर रखो भरोसा वक़्त पर एतबार करो।
परिंदों को एक दिन मंजिल मिलेगी यकीनन यह फैले हुए उनके पर बोलते है अक्सर वही लोग याद किया जाते है जिसकी हुनर बोलते है।
सपना एक देखोगे मुश्किलें हजार आएंगी लेकिन वो मंजर बड़ा खूबसूरत होगा जब कामयाबी शोर मचाएगी।
चार कदम चलकर ही थक जाता है ,और पंहुचना शीर्ष तक चाहता है तुझे धूल में पैरों को मलना होगा जो पानी है सफलता तो चलना होगा।